प्रश्न 1. बचत क्या है ?
उत्तर समाज की कुल आय को वस्तुओं एवं सेवाओं पर खर्च किया जाता। कुछ वस्तुओं का तत्काल उपयोग करते हैं तथा कुछ टिकाऊ वस्तुएँ उत्पादन के कार्य में प्रयोग की जाती हैं । अर्थात् कुल आय का वह भाग जो टिकाऊ वस्तुओं पर किया जाता है उसे बचत (saving) कहते हैं। स्पष्ट है कि आय (income) तथा उपभोग (consumption) का अंतर बचत कहलाता है बचत दो प्रकार का होता है (i) नगद बचत तथा (ii) वस्तु संचय ।
(i) नगद बचत- आय का कुछ ऐसा भी अंश होता है जो किसी भी प्रकार की वस्तु पर व्यय नहीं किया जाता है, उसे संचय या नगद बचत कहते हैं। (ii) वस्तु संचय जबकि वस्तु संचय को विनियोग कहा जाता है, इस प्रकार वस्तु संचय भी बचत का एक क्रम है
प्रश्न 2. वस्तु-विनिमय क्या है?
उत्तर आदिकाल में मनुष्य का व्यापार पूर्णत: वस्तु-विनिमय पर आधारित था। जब किसी वस्तु या सेवा का विनिमय किसी अन्य वस्तु या सेवा के साथ प्रत्यक्ष रूप से किया जाता है तब इसे वस्तु-विनिमय कहते हैं। इसमें विनिमय के लिए द्रव्य या मुद्रा का प्रयोग नहीं होता। उदाहरण के लिए, जब किसान चावल देकर जुलाहे से कपड़ा लेता है तब इसे वस्तु-विनिमय कहेंगे। इस प्रकार, वस्तु-विनिमय एक ऐसी प्रणाली है जिसमें किसी एक वस्तु का दूसरी वस्तु के साथ प्रत्यक्ष आदान-प्रदान होता है तथा दोनों पक्षों में विनिमय की इकाइयाँ भौतिक वस्तुएँ और सेवाएँ होती हैं।
प्रश्न 3.Credit Card क्या है ?
उत्तर—क्रेडिट कार्ड के अन्तर्गत ग्राहक की वित्तीय स्थिति को देखते हुए बैंक उसकी साख की एक राशि निर्धारित कर देती है, जिसके अन्तर्गत वह अपने क्रेडिट कार्ड के माध्यम से निर्धारित धन राशि के अन्दर वस्तुओं और सेवाओं को खरीद सकता है।
प्रश्न 4. ATM क्या है?
उत्तर–वर्तमान बैटबीकल के युग में आदान-प्रदान की समस्त क्रिया साख मुद्राओं द्वारा हो रही है। प्लास्टिक मुद्रा जिसे हम (ATM-Cum Debit Card) कहते हैं। इसे स्वचालित टेलर मशीन भी कहते हैं। यह मशीन 24 घंटे रुपया निकालने की सेवा प्रदान कराता है।
प्रशन 5. किसी व्यक्ति की बचत करने की इच्छा किन बातों से प्रभावित होती है? [2017A)
उत्तर—किसी व्यक्ति की बचत करने की इच्छा निम्न बातों से प्रभावित होती है-
(i) बचत को प्रभावित करने वाला सबसे महत्वपूर्ण तत्व आय का स्तर है।
(ii) आय में वृद्धि होने के साथ बचत का अनुपात भी बढ़ता है।
(iii) व्यय में कमी करके बचत को बढ़ाया जा सकता है।
प्रश्न 6. वस्तु विनिमय प्रणाली क्या है? मुद्रा ने इसकी कठिनाइयों को किस प्रकार दूर कर दिया ?
उत्तर-जब दो पक्षों द्वारा एक वस्तु से दूसरी वस्तु का प्रत्यक्ष विनिमय किया जाता है तो इसे वस्तु विनिमय कहा जाता है। मुद्रा वस्तु विनिमय की सभी कठिनाइयों का निराकरण कर दिया है क्योंकि मुद्रा के जन्म के बाद प्रत्येक वस्तु का मूल्य मुद्रा के द्वारा मापा जा सकता है-
(i) मुद्रा ने मूल्य मापने की कठिनाई दूर कर दी है
(ii) दोहरे संयोग की कठिनाई मुद्रा के प्रयोग से समाप्त हो गयी है ।
(iii) वस्तुओं के विभाजन की कठिनाई मुद्रा के द्वारा दूर हो गयी है।
(IV) मुद्रा ने संचय सम्बन्धी कठिनाई का भी निराकरण कर दिया है।
प्रश्न 7. साख आप क्या समझते हैं?
उत्तर आज प्राय: सभी प्रकार की उत्पादक क्रियाओं के लिए साख की आवश्यकता होती है। शब्दकोश के अनुसार, साख का अर्थ विश्वास या भरोसा करना है। परंतु, साख शब्द का यह व्यापक अर्थ है। आर्थिक शब्दावली में जब हम किसी व्यक्ति या संस्था की साख का उल्लेख करते हैं तब इससे उसकी ईमानदारी तथा ऋण लौटाने की क्षमता का बोध होता है। जिस व्यक्ति को आसानी से ऋण या अधार मिल जाता है, हम कहते हैं कि उसकी साख अच्छी है। नकद लेन-देन में किसी वस्तु के मूल्य का भुगतान तत्काल कर दिया जाता है। लेकिन, साख के लेन-देन में इस भुगतान को एक निश्चित अवधि के लिए टाल दिया जाता है। यदि माल बेचनेवाले को खरीदनवाले पर विश्वास नहीं हो तो भुगतान को टालना संभव नहीं होगा। इस प्रकार, विश्वास ही साख का आधार है।
प्रश्न. मद्रा की परिभाषा दीजिए।
उत्तर—विभिन्न अर्थशास्त्रियों ने मुद्रा की अलग-अलग परिभाषा दी है तथा इसकी एक सर्वसम्मत परिभाषा देना कठिन है। प्रो० मार्शल, रॉबर्टसन, सेलिगमैन आदि अर्थशास्त्रियों द्वारा दी गई परिभाषा मुद्रा की सर्वमान्यता के गुण पर आधारित है। मार्शल के अनुसार, “मुद्रा में वे सभी वस्तुएँ सम्मिलित की जाती हैं, जो बिना संदेह अथवा विशेष जाँच के वस्तुओं और सेवाओं को खरीदने तथा खर्चों को चुकाने में साधारणतया प्रचलित रहती है।” इसके विपरीत कुछ अर्थशास्त्रियों द्वारा दी गई मुद्रा को परिभाषा सबसे सरल है। इनके अनुसार, “मुद्रा वह है, जो मुद्रा का कार्य करती हो।” परन्तु, कुछ अर्थशास्त्रियों के अनुसार, मुद्रा के लिए वैधानिक स्वीकृति भी अनिवार्य है। प्रो० नैप के अनुसार, “कोई भी वस्तु जो राज्य द्वारा मुद्रा घोषित
कर दी जाती है, मुद्रा कहलाती है।”
प्रश्न 9. आय और उपभोग में क्या अन्तर है ? विवेचना कीजिए।
उत्तर- आय और उपभोग में अन्तर-
आय
1. आर्थिक प्रयलों के द्वारा जो धन प्राप्त होता है, उसे आय कहते हैं ।
2. आय अर्जन से प्रत्यक्ष सन्तोष नहीं मिलता है।
3. आय से वस्तु की उपयोगिता नष्ट नहीं होती है।
उपभोग
1. मानवीय आवश्यकताओं को सन्तुष्ट करने के लिए धन के प्रयोग को उपभोग कहते
2. उपभोग से प्रत्यक्ष संतोष प्राप्त होता है।
3. लेकिन उपभोग से वस्तु की उपयोगिता नष्ट हो जाती है
प्रश्न 10. पत्र मुद्रा क्या है ? भारत में इसे कौन जारी करता है ? विवेचना कीजिए।
उत्तर—पत्र मुद्रा विशेष किस्म के कागज पर छपा हुआ एक प्रतिज्ञा-पत्र होता है, जिसमें निर्गमन अधिकारी-सरकार अथवा केन्द्रीय बैंक वाहक को माँगने पर उसमें लिखित राशि देने का वचन देता है। यह प्रतिज्ञा-पत्र माँग पर देय होता है। पत्र मुद्रा प्रायः एक निश्चित विधान के अन्तर्गत निर्गमित की जाती है और इसके पीछे केन्द्रीय बैंक द्वारा नियमानुसार स्वर्ण अथवा विदेशी प्रतिभूतियाँ कोष में रखी जाती हैं।
विशेषताएँ-
(i) पत्र मुद्रा ही प्रमुख मुद्रा होती है तथा असीमित विधिग्राह्य होती है।
(ii)पत्र मुद्रा का निर्गमन देश की सरकार अथवा केन्द्रीय बैंक द्वारा किया जाता है। पत्र मुद्रा विशेष प्रकार के कागज पर निकाली जाती है और उसकी छपाई भी ऐसे तकनीकी ढंग से की जाती है, ताकि उसकी नकल न की जा सके।
(iii)भारत में पत्र मुद्रा का निर्गमन—भारत में पत्र मुद्रा का निर्गमन देश के केन्द्रीय बैंक “रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया” द्वारा किया जाता है तथा दो रुपये से लेकर एक हजार रुपये के नोट पर रिजर्व बैंक के गवर्नर के हस्ताक्षर होते हैं तथा प्रादिष्ट पत्र मुद्रा का निर्गमन सरकार द्वारा किया जाता है। जैसे—एक रुपए का नोट ।
प्रश्न 11. प्रारंभिक अवस्था में ही सर्वमान्य मापक की आवश्यकता क्यों हुए ?
उत्तर—’वस्तु विनिमय’ में कठिनाई के कारण प्रारंभिक अवस्था में सर्वमान्य मापक की आवश्यकता हुई।
प्रश्न 12. क्रेडिट कार्ड के अन्तर्गत और कौन-से कार्ड आते हैं ?
उत्तर—क्रेडिट कार्ड के अन्तर्गत विश्व में प्रचलित क्रेडिट में टैपए मास्टर कार्ड, अमेरिकन एक्सप्रेस आदि हैं।
प्रश्न 13. उपभोग किसे कहते हैं?
उत्तर-कुल आय का वह भाग जो चालू वस्तुओं पर खर्च किया जाता है उसे उपभोग (consumption) कहते हैं।
प्रश्न 14. मौद्रिक विनिमय प्रणाली क्या है ?
उत्तर—इस प्रणाली के अन्तर्गत व्यक्ति वस्तु के बदले मुद्रा प्राप्त करता है, पुनः अपनी जरूरत के मुताबिक कार्य करता है ।
प्रश्न 15. क्रय या विक्रय दोनों में ही मुद्रा मध्यस्थ का कार्य करती है। कैसे?
उत्तर—क्योंकि व्यक्ति सेवा या वस्तु बेचकर मुद्रा प्राप्त करता है तथा पुनः मुद्रा का प्रयोग अन्य जरूरत के लिए करता है।
प्रश्न 16. प्रतिज्ञा पत्र क्या है?
उत्तर-इस पत्र में ऋणी की माँग पर या एक निश्चित अवधि के बाद उसमें अंकित ब्याज सहित देने का वादा करता है।
प्रश्न 17. वस्तु-विनिमय क्या है?
उत्तर-वस्तु-विनिमय प्रणाली उस प्रणाली को कहा जाता है, जिसमें एक वस्तु के बदले में दूसरी वस्तु का आदान-प्रदान होता है
प्रश्न 18. मुद्रा देश कल्याण कैसे मदद करती है?
उत्तर-चूँकि मुद्रा द्वारा किसी देश की राष्ट्रीय आय से प्रति व्यक्ति आय की माप होती है। इस तरह मुद्रा कल्याण में मदद करती है ।
प्रश्न 19. विनिमय के सामान्यतः कितने रूप होते हैं?
उत्तर-विनिमय के सामान्यत: दो रूप होते हैं-
(i) वस्तु विनिमय प्रणाली तथा (ii) मौद्रिक विनिमय प्रणाली ।
प्रश्न 20. मुद्रा का ही संचय क्यों किया जाने लगा?
उत्तर-शीघ्र नष्ट होनेवाली वस्तुओं को संचय करना कठिन था तथा लंबी अवधि से वस्तुएँ नष्ट होने के कारण मुद्रा का संचय किया जाने लगा।
प्रश्न 21. चेक क्या है? चेक साख पत्र है, कैसे?
उत्तर- चेक एक प्रकार का लिखित आदेश है, जो बैंक में रुपया जमा करनेवाला अपने बैंक को देता है। साख की तरह ही मुद्रा का कार्य करता है ।
प्रश्न 22. ATM मशीन से पैसा कैसे निकाला जाता ?
उत्तर-ATM कार्ड मिलने के बाद एक गुप्त पिन अंक होता है जिसकी सहायता से ATM कार्ड को मशीन में डालने के बाद रुपया निकाला जा सकता है। साथ-ही-साथ अब ATM से रुपया निकालने के लिए ATM-Cum Debit
Card होना चाहिए।
प्रश्न 23. मूल्य के मापन में मुद्रा की भूमिका का उल्लेख करें।
उत्तर प्रारंभ से ही ऐसा कोई सर्वमान्य मापक नहीं होने के कारण मुद्रा की आवश्यकता थी, जिसकी सहायता से सभी प्रकार के वस्तुओं एवं सेवाओं के मूल्य को ठीक मापा जा सके । इस प्रकार मुद्रा के आविष्कार से वस्तु विनिमय की सारी कठिनाइयाँ दूर हो गई।
प्रश्न 24. बैंक ड्राफ्ट क्या है?
उत्तर बैंक ड्राफ्ट वह पत्र है जो एक बैंक अपनी किसी शाखा या अन्य किसी बैंक को आदेश देता है कि पत्र में लिखी हुई रकम उसमें अंकित व्यक्ति को दे दी जाए। बैंक ड्राफ्ट के द्वारा आसानी से कम खर्च में ही एक रुपया एक स्थान से दूसरे स्थान भेजा जा सकता है।
प्रश्न 25. मुद्रा धूरी की तरह अर्थव्यवस्था में कैसे काम करती है ?
उत्तर-यदि मुद्रा न होती तो विश्व के विभिन्न देशों में इतनी आर्थिक प्रगति कभी भी संभव नहीं होती। चाहे पूँजीवादी, समाजवादी या मिश्रित अर्थव्यवस्था हो सभी में मुद्रा एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है, अर्थात् मुद्रा एक ऐसी धूरी है जिसके चारो ओर आर्थिक विज्ञान चक्कर काटती है
प्रश्न 26. क्रय-शक्ति का हस्तांतरण किस प्रकार आसान है
उत्तर-आर्थिक विकास के साथ-ही-साथ विनिमय के क्षेत्र में भी विस्तार हो चला था । चूँकि मुद्रा में सामान्य स्वीकृति का गुण विद्यमान है, कोई भी व्यक्ति किसी एक स्थान से अपनी संपत्ति बेचकर किसी अन्य स्थान पर नयी संपत्ति खरीद सकता है। अतः मुद्रा के माध्यम से क्रय शक्ति को एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को हस्तांतरित किया जा सकता है।
प्रश्न 27. मुद्रा साख के आधार पर कैसे काम करती है?
उत्तर–साख का अर्थ है विश्वास या भरोसा पर। अर्थशास्त्र में साख का मतलब ऋण लौटाने और भुगतान करने की क्षमता से है, अर्थात् बिना विश्वास और भरोसे के उधार लेन-देन नहीं हो पायेगा। इस तरह किसी दिए हुए समय में ऋणी रुपये, सेवाएँ या वस्तुएँ साख के आधार पर प्राप्त करता है और निश्चित अवधि बाद उतनी ही मुद्रा ब्याज सहित लौटाने का वादा करता है ।
प्रश्न 28. मुद्रा एवं साख पत्रों क्या अन्तर है ?
उत्तर—मुद्रा जिसका उपयोग साख पत्रों के आधार पर वे वस्तुएँ एवं सेवाओं के विक्रय-क्रय में विनिमय के माध्यम का कार्य करते हैं । अतः साख पत्र ठीक मुद्रा की तरह कार्य करते हैं। किन्तु इसका प्रमुख अन्तर यह है कि मुद्रा कानूनी ग्राह्य होते हैं, जबकि साख पत्रों को कानूनी मान्यता प्राप्त नहीं होती है। अतः साख पत्रों को लेन-देन के कार्य में स्वीकार करने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता।
प्रश्न 29. मुद्रा द्वारा उत्पादक को लाभ कैसे प्राप्त होता है?
उत्तर-मुद्रा के आविष्कार से उपभोक्ता को बहुत लाभ हुआ है। प्रत्येक उपभोक्ता मुद्रा से अपनी इच्छानुसार वस्तुओं को खरीद सकता है । यह सुविधा वस्तु विनिमय प्रणाली में नहीं थी।
मुद्रा उपभोक्ता की मांग का आधार है । जिस व्यक्ति के पास मुद्रा अधिक है, वह वस्तुओं और सेवाओं की मांग अधिक कर सकता है । मुद्रा का अभाव मांग की मात्रा को घटा देता है।
प्रश्न 30. मौद्रिक-विनिमय प्रणाली से आप क्या समझते हैं?
उत्तर-विनिमय के दो मुख्य रूप हैं वस्तु-विनिमय तथा मुद्रा विनिमय। जब किसी वस्तु या सेवा का विनिमय किसी अन्य सेवा के साथ प्रत्यक्ष रूप से किया जाता है तब इसे वस्तु-विनिमय कहते हैं। वस्तु-विनिमय की कठिनाइयों ने
ही मुद्रा विनिमय प्रणाली को जन्म दिया। जब वस्तुओं या सेवाओं का विनिमय मुद्रा के माध्यम से होता है तब इसे मौद्रिक-विनिमय प्रणाली कहते हैं। इसके अंतर्गत वस्तुओं या सेवाओं का विनिमय प्रत्यक्ष रूप से न होकर परोक्ष रूप से होता है। मौद्रिक-विनिमय प्रणाली में विनिमय की क्रिया दो उपक्रियाओं—क्रय तथा विक्रय में विभक्त हो जाती है।