प्रश्न 1. आर्थिक संरचनाएँ का क्या महत्त्व है ? [2019A)
अथवा, आर्थिक आधारभूत संरचना का क्या महत्त्व है ? [2015A]
उत्तर— भारत में बुनियादी सुविधाएँ को विकसित करने का परंपरा के तौर पर सरकार का ही पूरा दायित्व था। इसी कारण 1991 के बाद आर्थिक सुधारों के दौर में निजी क्षेत्र में भी स्वयं एवं सरकार के साथ संयुक्त भागीदारी कर आधारभूत संरचना के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है । आज संयुक्त रूप से आधारभूत संरचना में निवेश हो रहा है तथा इसकी स्थिति में भी काफी सुधार हुआ है । परन्तु खासकर आर्थिक दृष्टिकोण से अपेक्षाकृत पिछड़े राज्यों में तो बहुत ही कम बुनियादी सुविधाओं का विकास हो पाया है।
प्रश्न 2. आधारभूत संरचना किसे कहते हैं? [2018A, 2016A, 2013C]
उत्तर-आधारभूत संरचना एक ऐसी सुविधा है जो देश के सर्वांगीण विकास के लिए आवश्यक है। बेहतर बुनियादी सुविधाएँ ही आर्थिक विकास को बेहतर बना सकती है।
प्रश्न 3. बाह्य स्रोती (Out Sourcing) किसे कहते हैं?
उत्तर -जब बहुराष्ट्रीय कम्पनियों या अन्य कम्पनियाँ अपने लिए सम्बन्धिता नियमित स्वयं अपनी कम्पनी की बजाए किसी विदेशी या बाहरी स्रोती अथवा संस्था से प्राप्त करती है, यह स्थिति बाह्य स्रोती कही जाती है। सूचना प्रौद्योगिकी के व्यापक प्रसार से ऐसी गतिविधियाँ अत्यधिक महत्वपूर्ण और विशिष्ट आर्थिक गतिविधियाँ बन गयी हैं।
दूरसंचार, यातायात, स्वास्थ्य, स्वरोजगार तथा अन्य गैर सरकारी सेवाएँ आती हैं। सेवा क्षेत्र का सहत्व रोजगार प्राप्ति में काफी है। सेवा क्षेत्र का विस्तार जितना ही ज्यादा होगा रोजगार के अवसर उतना ही बढ़ेगा।
प्रश्न 4. सरकारी सेवा किसे कहते हैं ? [M.Q., Set-IV : 2011, TBQ]
उत्तर–जब देश या राज्य की सरकार काम के बदले वेतन देते हैं और इनसे विभिन्न क्षेत्रों में काम लेते हैं, तो इसे सरकारी सेवा की सूची में रखा जाता है । सरकारी सेवा के कुछ व्यापक क्षेत्र का उदाहरण इस प्रकार है । सैन्य सेवा, शिक्षा सेवा, स्वास्थ्य सेवा, अभियंत्रण सेवा, वित्त सेवा आदि ।
प्रश्न 5. ‘रोजगार’ और ‘सेवा’ में क्या संबंध है?
[M. Q., Set-IV : 2011, TBQ]
उत्तर—रोजगार एवं सेवा का अर्थ इन बातों से है जब व्यक्ति अपने परिश्रम एवं शिक्षा के आधार पर जीविकोपार्जन के लिए धन एकत्रित करता है जब इस धन को पूँजी के रूप में व्यवहार किया जाता है और उत्पादन के क्षेत्र में निवेश किया जाता है तो सेवा उत्पन्न होता है। अतः रोजगार एवं सेवा क्षेत्र एक-दूसरे के परस्पर हैं।
प्रश्न 6. गैर-सरकारी सेवा किसे कहते हैं ? [TBQ]
उत्तर—जब सरकार अपने द्वारा संचालित विभिन्न कार्यक्रमों को गैर सरकारी संस्थाओं के सहयोग से लोगों तक पहुँचाने का कार्य करती है अथवा लोग अपनी प्रयास से ऐसी सेवाओं के सृजन से लाभान्वित होते हैं। उन्हें गैर सरकारी सेवा के अन्तर्गत रखा जाता है।
प्रश्न 7. सूचना प्रौद्योगिकी (Information Technology) से जुड़े पांच सेवा क्षेत्र को बतलाएँ।
उत्तर—वस्तुतः सूचना प्रौद्योगिकी के व्यापक प्रसार से काफी महत्वपूर्ण और विशिष्ट आर्थिक गतिविधियाँ बन गई है। भारत में होटल व्यापार परिवहन अथवा यातायात एवं संवाद वाहन सेवाएँ काफी तेजी से बढ़ी है। इनमें भी टेलीफोन विशेषकर मोबाइल फोन का सर्वाधिक योगदान रहा है ।
प्रश्न 8. मंदी का असर भारत में क्यों पड़ा ?
उत्तर–भारत पर इसका असर कम पड़ा क्योंकि यहाँ की पूँजी बाजार काफी मजबूत अवस्था में अभी है। यहाँ के इंजीनियर आज भी बाह्य स्रोतों में लगे हुए हैं। खासकर सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र काफी मजबूत है और पूरे विश्व में हमारे इंजीनियर का स्थान अव्वल है। हमारा आधारभूत संरचना कमजोर होने के बाद भी वर्तमान मंदी का असर भारत पर नहीं पड़ा।
प्रश्न 9. वैश्वीकरण का प्रभार सेवा क्षेत्र पर क्या पड़ा?
उत्तर—वैश्वीकरण के कारण लोगों को आर्थिक विकास क्षेत्र के खासकर सेवा क्षेत्र का लाभ प्रत्यक्ष रूप से मिलने लगा। लोगों को दूसरे राष्ट्र में जाकर वैश्वीकरण रोजगार करने का खुला अधिकार प्राप्त हो गया । आलोचकों के अनुसार से श्रम बाजार में श्रमिक संगठनों की भूमिका नगण्य हो जायेगी और आम लोग विकास के क्षेत्र में केवल मूक दर्शक ही रह जायेंगे। धीरे-धीरे यह मान्यता लोगों के मत में बदलाव आ रहा है और लोग उदारवादी इन नीतियों के लाभ समझने लगे हैं।
प्रश्न 10. सेवा क्षेत्र का विकास क्यों हुआ?
उत्तर-सेवा क्षेत्र का विकास कृषि एवं उद्योग में पाई जाने वाली अनिश्चितता के कारण हुआ।
प्रश्न 11. नागरिक सेवाएँ क्या हैं ?
उत्तर—सामाजिक चेतना, सफाई, सामाजिक मान्यता का सम्मान नागरिक सेवाओं के अन्तर्गत आता है।
प्रश्न 12. आर्थिक विकास के मुख्यतः कितने क्षेत्र हैं ?
उत्तर–आर्थिक विकास के मुख्यतः तीन क्षेत्र हैं-(i) कृषि क्षेत्र (ii) उद्योग क्षेत्र और (iii) सेवा क्षेत्र ।
प्रश्न 13. भारत में बेरोजगारी में कैसे कमी आई है?
उत्तर भारत में योजनात्मक विकास के क्रम में सेवा क्षेत्र का पर्याप्त विकास एवं विस्तार हुआ है, जिसके रण बेरोजगारी में कमी आयी है।
प्रश्न 14. कुशल मानव पूँजी का रोजगार में क्या योगदान है?
उत्तर-कुशल मानव पूँजी रोजगार के विभिन्न क्षेत्र को जन्म देता है। भारतवर्ष को आज इस क्षेत्र में खासकर सूचना तकनीक में विश्व के अव्वल देशों में गिनती की जा रही है
प्रश्न 15. सरकार और निजी दोनों के ही सहयोग से चलने वाली सेवाएँ कौन-कौन सी हैं?
उत्तर–सरकारी और गैर-सरकारी सेवाओं में कुछ ऐसी सेवाएँ हैं, जिसका विकास सरकार एवं निजी दोनों के सहयोग से किया जा रहा है जैसे-यातायात सेवा, दूरसंचार सेवा, बैंकिंग सेवा, स्वास्थ्य सेवा इत्यादि प्रमुख उदाहरण हैं।
प्रश्न 16. सेवा क्षेत्र के विस्तार में गुणवत्ता में वृद्धि के महत्व को दर्शाएँ ?
उत्तर—जब किसान अपने उत्पादन को अपने श्रम एवं दक्षता के कारण गुणवत्ता में वृद्धि करता है, तो उससे रोजगार के नये आयाम खुलते हैं, जिससे सेवा का विस्तार होता है। और जब वस्तु की गुणवत्ता में वृद्धि की जाती है तो इससे उसे ऊँची कीमत पर बेचा जा सकता है। उत्पादन में गुणवत्ता के इस वृद्धि को Value Aided कहते हैं।
प्रश्न 17. विकसित राष्ट्र ही आर्थिक मंदी के शिकार हुए, कैसे?
उत्तर—विकसित राष्ट्र की आधारिक संरचना में कृषि और कृषि जनित उद्योग का अभाव था जिसके कारण सीधा प्रभाव विकसित राष्ट्रों पर पड़ा । यही कारण है कि विकसित राष्ट्रों से तकनीकि वैज्ञानिकों को छाँटकर रोजगार से मुक्त किया गया । उत्पादकों को उत्पादन क्रिया शिथिल करना पड़ा। इस प्रकार कई वित्तीय संस्थाओं को अमेरिका को बंद करना पड़ा। इस प्रकार वर्तमान मंदी का प्रभाव विकसित राष्ट्रों पर प्रतिकूल पड़ा।
प्रश्न 18. रोजगार सृजन में सेवाओं की भूमिका का वर्णन करें।
उत्तर-सेवा का क्षेत्र सरकारी हो या गैर-सरकारी दोनों ही परिस्थितियों में रोजगार का सृजन होता है। सरकारी क्षेत्र के सहयोग से रोजगार का सृजन निम्न सेवाओं के द्वारा किया जाता है। काम के बदले अनाज-2004, राष्ट्रीय रोजगार
कार्यक्रम-1980, ग्रामीण भूमिहीन रोजगार गारंटी कार्यक्रम-1983, युवा स्वरोजगार प्रशिक्षण कार्यक्रम-1980, समेकित ग्रामीण विकास कार्यक्रम-1980, जवाहर रोजगार योजना, स्वर्ण सहायता समूह, नरेगा इत्यादि ।
प्रश्न 19. देश या राज्य का आर्थिक विकास मानव पूँजी पर आधारित है, कैसे?
उत्तर- मानव पूँजी का निर्माण कौशल तथा सुविज्ञता प्राप्त अनुभवी व्यक्तियों की संख्या बढ़ाने तथा प्राप्त करने की प्रक्रिया है । अच्छी मानव पूँजी जैसे-वैज्ञानिक, डॉक्टर, इंजीनियर, कुशल प्रशासक, समाज सेवी, मनोवैज्ञानिक, शिक्षक एवं शिक्षाविद् इत्यादि मानव पूँजी का उत्पादन करती है अर्थात् मानवीय संसाधनों से और अधिक मानव पूँजी के उत्पादन के लिए हमें मानव पूँजी में निवेश करने की आवश्यकता है। देश व राज्य का आर्थिक विकास शिखर पर पहुँचाने के लिए मानव पूँजी निवेश के स्तर को ऊँचा उठाना होगा।
प्रश्न 20. वैश्वीकरण, निजीकरण एवं उदारीकरण आर्थिक विकास को नये आयाम दिए हैं। कैसे ?
उत्तर- वैश्वीकरण, निजीकरण एवं उदारीकरण के कारण सेवा क्षेत्र का लाभ प्रत्यक्ष रूप से मिलने लगा है। लोगों को दूसरे राष्ट्र में जाकर रोजगार करने का खुला अधिकार प्राप्त हो गया है। यद्यपि आर्थिक विचारकों का ऐसा समूह भी है
जो मानता है कि वैश्वीकरण, निजीकरण और उदारीकरण से आम आदमी का जीवन कठिन हो जायेगा। कुछ हद तक इस आलोचना में बल भी है, क्योंकि वैश्वीकरण एवं उदारीकरण से श्रम व्यापार में श्रमिक संघटकों की भूमिका नगण्य हो जायेगी और आम लोग विकास के क्षेत्र में मूक दर्शक ही रह जायेंगे । धीरे-धीरे इस मान्यता के लोगों के मत में बदलाव आ रहा है और लोग उदारवादी इन नीतियों
को समझने लगे हैं।
प्रश्न 21. बिहार की आर्थिक प्रगति को प्राकृतिक आपदा प्रभावित करती है, वर्णन करें।
उत्तर-विगत कुछ वर्षों में बिहार में आर्थिक प्रगति परिलक्षित होने लगे हैं, किन्तु प्राकृतिक आपदा, बाढ़, सूखा विकास में बाधा के रूप में उभरती रहती है। सड़क का विस्तार एवं स्वास्थ्य सेवाएँ प्रगति पर होती है पर बाढ़ के कारण सड़कें पुनः जर्जर या फिर खत्म हो जाती हैं। कभी बाढ़ की धारा मुख्य मार्ग होती है तो कभी आबादी वाले क्षेत्र । इस प्रकार यह आपदा एक अवरोधक की तरह कार्य करती है पर सेवा क्षेत्र के लगातार प्रयासों से सकारात्मक विकास संभव हो सका है।
प्रश्न 22. मानव संसाधन किस प्रकार सुदृढ़ एवं सशक्त हो सकती है? वर्णन करें।
उत्तर-मानव संसाधन के सुदृढ़ एवं सशक्त करने हेतु यदि परिश्रम द्वारा जनसंख्या के समग्र भाग को पर्याप्त भोजन, तन पर वस्त्र एवं सर छिपाने के लिए आवास, इन तीन प्रारंभिक आवश्यकताएँ को पूरा कर दिया जाए तो समस्या का आधा समाधान संभव हो जाता है। पुनः सबल बनाने के लिए अगर स्वास्थ्य पर जोर देने की आवश्यकता है तो ये चार अवयवों के सहयोग एवं शिक्षा के माध्यम से उसे उस स्तर तक पहुँचाया जा सकता है, जो कि आर्थिक विकास का एक सुदृढ़ सूचक बन जायेगा । इसी सूचक का ही देन है कि जो पूँजी का निर्माण करेगा और आर्थिक विकास का परचम पूरे विश्व में लहरायेगा।
प्रश्न 23. बीमारू (BIMARU) शब्द से क्या अभिप्राय है ? इससे प्रभावित होने वाले राज्यों के नाम बताएँ।
उत्तर भारत के काफी पिछड़े राज्यों जिन्हें बीमारू के नाम से जाना जाता है वे हैं-बिहार, उड़ीसा, मध्य प्रदेश, राजस्थान आदि। इन राज्यों में बुनियादी सुविधाएँ जैसे बिजली, सिंचाई, यातायात, परिवहन, दूरसंचार इत्यादि पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध नहीं हैं। बीमारू शब्द से नकारात्मक ध्वनि व्यक्त होने के कारण ये राज्य इस नाम से पुकारा जाता है। योजना आयोग भी इस नाम को स्वीकार नहीं करती । ऐसे भी इन राज्यों में खासकर बिहार आर्थिक विकास की ओर उन्मुख हुआ है जिसके कारण लोग अब “बीमारू” नाम से परहेज करते हैं